Line-1) राजा विक्रमसिंह को मारने में अपनी असफलता को देखते हुए बांकेलाल प्लान में थोडा change करता है, और राजा को गद्दी से उतारकर खुद राजा बनने की सोचता है.
Line-2) बांकेलाल राज्य में वोट करवाने की सोचता है, वोट का पता उसे कलियुग की यात्रा में चला था, वो इसके लिए राजा को भी मना लेता है.
Line-3) राजा (यहाँ प्रधानमंत्री) बनने के लिए 2 प्रत्याशी होता है, बांकेलाल और सेनापति मरखप सिंह, मरखप सिंह बांकेलाल की चाल है, क्यूंकि वो बांकेलाल के सामने टिक नहीं पायेगा.
Line-4) विक्रमसिंह भी अपने प्रिय बांकेलाल के लिए प्रचार करता है और बांकेलाल को वोट देने की अपील करता है, लेकिन मरखप सिंह अपने लिए कोई प्रचार नहीं करता.
Line-5) वोट हो जाता है, अतिआत्म्विश्वास से भरपूर बांकेलाल वोट डालने भी नहीं जाता है, और राजा बनने की तैयारी शुरू कर देता है.
Line-6) वोट की निर्णय में मरखप सिंह विजयी होता है, बांकेलाल जब गहरी छानबीन करता है तो पता चलता है की मरखप सिंह ने अपना चुनाव चिह्न बांकेलाल का थोबडा ही रखा हुआ था.
Line-7) वोटिंग प्रक्रिया से अपिरिचित जनता बांकेलाल के थोबडे पर भरपूर मुहर लगाकर चली जाती है.
Line-8) कत्ल-ए-आम राक्षस जो सिर्फ राजाओं को मारता है, विशालगढ पर आक्रमण करता है.
Line-9) आक्रमण करते ही वो मर जाता है, क्यूंकि उसे ऋषि प्रजातान्त्रचार्य का श्राप होता है की किसी प्रजातान्त्रिक राज्य पर आक्रमण करते ही उसकी मृत्यु हो जायेगी.
Line-10) इसतरह बच जाती है विक्रमसिंह की जान और बांकेलाल को मिलती है मोटे मुच्छड़ की पुच्ची.