Tuesday, April 21, 2009

त्रिकालदर्शी महारानाचार्य

त्रिकालदर्शी महारानाचार्यज्जी अपने वातानुकूलित (Air Conditioned) कमरे में चहलकदमी करते हुए. आजकल वो प्रसन्न रहते है. आमदनी जो होने लगी है आजकल . लोकसभा का चुनाव आ रहा है. नेताओं की भीड़ लगी रहती है उनके पास. सभी अपना भविष्य जानना चाहते है. कुछ काम तो करते नहीं सिर्फ भाग्य के भरोसे ही चुनाव जीतना चाहते है. महारानाचार्य भी सबको जीतने की भविष्यवाणी करते है और मोटी रकम ऐंठते है सबसे.
नेताओं के आवाजाही के कारण उन्हें अपने दफ्तर को वातानुकूलित करना पड़ा है. गरीबों का मसीहा हमेशा AC कार में घूमते है, बिना AC के कमरों में उन्हें पसीना आने लगता है. गरीबों का खून बहे कोई problem नहीं लेकिन नेताओं को पसीना नहीं आना चाहिए, आखिर वो ही तो देश के कर्णधार है. प्रसिध्धि भी मिलने लगी है. प्रसिध्ध होने का भी नुकसान है. बहुत से लोग परेशान करने लगे है. लेकिन इतने बड़े व्यक्ति को कौन परेशान कर सकता है.
तभी कमरे में महाराणाचर्या के शिष्य ने प्रवेश किया.
शिष्य-आचार्यजी अरुणजी फिर आये है.
महारानाचार्य:हम्म.. (आ गयी परेशानी. इनसे कुछ मिलने वाला तो है नहीं, आ जाते है बार बार, कितना बार कह चूका की मेरे पास टाइम नहीं है, लेकिन सैकडों बार फ़ोन कर चुके है ये अरुणजी, अपने फोरम का भविष्य जानना चाहते है). कह दो नहीं मिल सकता बहुत busy हूँ.
शिष्य: जो आज्ञा आचार्यजी. कुछ प्रेस वाले भी आये है, उन्हें भी कह दू की आप busy हँ.
म: अरे रुक नालायक. प्रेस वाले को भेज, वो मेरा इंटरव्यू लेंगे और इन निकम्मी न्यूज़ चैनल्स में भी दिखायेंगे, मेरा नाम होगा , दूर -दूर से नेता आएंगे. उनको भेज.(फिर कुछ सोचकर) अरुणजी फोरम वाले को भी भेज दे.
प्रेस वाले और पीछे सहमे हुए अरुणजी का प्रवेश. अरुणजी का चेहरा देखकर लगता है की जैसे उनको कोई खजाना मिल गया है, क्यूंकि ज्योतिषाचार्य ने उनसे मिलने के लिए मान गए है.
प्रेस वाले आते ही VVIPs की तरह सामने बैठ गए और फोटोग्राफेर्स फोटो लेने का pose बनाते हुए.
आचार्य अरुणजी के तरफ मुखातिब हुए. क्या समस्या है आपको.
अरुणजी: क्या बताये आचार्यजी. पता नहीं क्या हो गया फोरम को. सभी एक दुसरे से लड़ रहे है. एक दुसरे के खिलाफ भड़काऊ पोस्ट कर रहे है. सबकी जिह्वा आग उगल रही है. अपशब्दों की बौछार हो रही है. छोटे बड़े का लिहाज नहीं है. मुझे भी उनके बिच पड़ने से डर लगता है, पता नहीं कब उनका निशाना में बन जाऊँ. में बहुत परेशान हूँ. जब से चुनाव का उद्गोष हुआ है, मैंने न्यूज़ चैनल देखना बंद कर दिया है, नेता एक दुसरे के खिलाफ इतने अपशब्द कह रहे है की मुझे शर्म आती है टीवी देखते हुए. अब बस फोरम का ही सहारा था, अब तो लगता है यहाँ आना भी बंद करना पड़ेगा. ऐसा कबतक चलेगा. अब तो लडाई फोरम से निकलकर होम पेज के ब्लॉग तक पहुच गयी है. इतना शर्मसार तो फोरम आजतक नहीं हुआ. फोरम में तो सिर्फ फोरम मेम्बेर्स आते है, लेकिन ब्लॉग तो हर कोई देख सकता है.
(इतना कहकर अरुणजी हाफ्ने लगे, one लाइन पोस्ट करने की आदत है, इतना बड़ा पोस्ट करने की उनकी आदत छुट जो गयी है)
म: मान गए अरुणजी, आप तो फोरम में one लाइन पोस्ट करते हो, यहाँ पर इतना बड़ा पोस्ट.
अ: आपको कैसे पता, कहीं आप...
म: नहीं नहीं कुछ नहीं. आगे बोलिए क्या समस्या है..
अ: अबतक क्या में फ्रेंच में बोल रहा था, समझ में नहीं आया क्या. मेरा मतलब है की समस्या जानने के लिए कृपया ऊपर लिखे पोस्ट को ध्यान से पढिये( निकम्मा कहीं का. कभी आ फोरम पर बताऊंगा तुझे भी, अपने आप को बड़ा तीस मार खां समझ रहा है.)
आचार्य गंभीर हो गए.उनको ये समस्या मालूम है. लोग घर में समस्या होने पर बैरागी बन जाता है, कोई साधू बन जाता है. आचार्य जो वास्तव में फोरम के मेंबर amitabhkar ही है, आज के modern ज़माने में साधू न बनकर भविष्यवक्ता बन गए, आखिर फोरम उनके लिए घर जैसा ही था. फोरम के झगडों से दुखी होकर (लोगों को तो ये ही कहते है, लेकिन सच्चाई है की पैसा कमाने के लिए) आचार्य बन गए. पहले बड़ा सा नाम सोचा अपने लिए. त्रिकालदर्शी रत्नविशारद भविष्यवक्ता अचुकानंद महारानाचार्य रखा था, लेकिन signborad का खर्चा ज्यादा आ रहा था तो उन्होंने नाम को छोटा करके सिर्फ महारानाचार्य कर दिया. प्रसिध्ध गुनी महारानजी कह गए है की नाम में क्या रखा है. (वास्तव में ये William Shakespeare ने कहा है, लेकिन ये इसको अपने नाम से चलाते है, नेताओं को क्या पता किसने कहा है, वो सुनकर बिना अर्थ समझे ही गद गद हो जाते है)
वो पहले अरुणजी से मिलना नहीं चाहते थे, की उनको पहचान ना ले, लेकिन प्रेस वालों को
impress करने के लिए मिलना ही पड़ा, की वो पैसे के लिए ये सब नहीं कर रहे है.

एक गहरी सोच के बाद पुरे 5 मिनट तक चुप रहकर आचार्य ने अपना मुह खोला, भाव तो ऐसा की इन 5 मिनट में वो पुरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगा आये हो, आचार्य ना हो कोई नारी जाती की आवाज शक्ति हो.
म: देखिये अरुणजी ये ग्रहों का प्रभाव है. (अपने ज्योतिषीय अंदाज में जारी रखते हुए) ग्रहों के इन बुरे प्रभावों के कारण चारो और अशांति फैली हुई है. राहू अभी थोड़े गुस्से में है, क्यूंकि उसे उसके कुर्सी से बेदखल कर दिया है केतु ने. गुस्से से उसका खून उबल रहा है, जिससे पुरे धरती में अशांति फ़ैल गयी है.
हमारा (मरवाएगा क्या, तू अभी पकडा जायेगा महारण) मतलब आपका फोरम भी इन प्रभावों से बच नहीं सकता. इसीलिए ये अशांति फैली हुई है. एक झगडा ख़तम होता है, दूसरा शुरू होता है. अभी चुनावों का बाज़ार है, नेता टीवी पर गाली गलौज कर रहे है, इनका दुष्प्रभाव भी फोरम के भोले भले बच्चों पर असर कर रहा है. बड़ों को देखकर ही बच्चे सीखते है. वो भी नेताओं की बोली सिख गए है. इसको सिर्फ समय ही रोक सकती है. सब ठीक हो जायेगा .
अब आपलोग आराम से फोरम जाये, मेरा मतलब घर जाये. और मेरा ये सर्व झगडा निवारण ताबीज़ ले जाये .
ताबीज़ हाथ में आते ही अरुणजी चलने लगे तो साथ में प्रेस वाले भी चल दिए.
आचार्य जी आश्चर्य से बोले, मेरा इंटरव्यू का क्या हुआ.
प्रेस वाले बिना सुने चल दिए.
बाहर आकर अरुणजी मुस्कुराये, साथ में रिपोर्टर बना taker और फोटोग्राफर बना रंधावा भी. आज खूब उल्लू बनाया इन्होने स्वयंभू त्रिकालदर्शी बने उसे आचार्य को. बिना तिकड़म भिडाये जो मिल ही नहीं रहा था वो आचार्य. प्रेस वालों को impress करने के लिए आखिर मिल ही लिया.
खिड़की से उनको देखते हुए महारण भी मुस्कुराया, पहचान तो वो भी गए थे taker और रंधावा को, लेकिन फिर भी भविष्य बताया, क्यूंकि महारण को मालुम है, जितने नेताओं के भविष्यवाणी उसने किया है, एक भी सच नहीं होने वाला क्यूंकि आज जनता जागरूक हो गयी है, लेकिन फोरम वाली भविष्यावानी अबश्य सच होगी. फोरम में शांति जल्द ही लौट आयेगा.

3 comments:

  1. very cute.. I am also planning to do a write up in Hindi :)

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  2. ब्लोग जगत मे आपका स्वागत है। मेरे ब्लोग पर पधारे। बहुत सुन्दर रचना है

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